
खुरई विधानसभा क्षेत्र कुछ वर्ष पूर्व तक एक पिछड़ा हुआ उपेक्षित क्षेत्र हुआ करता था, जब यहां से भूपेन्द्र सिंह विधायक बने तब से इस क्षेत्र ने अपने स्वरूप और क्षमताओं में जिस गति से बदलाव किया है वह एक उदाहरण है। एक पिछड़े हुए ग्राम्य जीवन को शहरों की तर्ज पर विकसित कर भाजपा नेता भूपेन्द्र सिंह ने करिश्मा कर दिया है। आज खुरई का बच्चा बच्चा भूपेन्द्र सिंह के विकास कार्यों और उनकी विकासोन्मुखी नीति को बखान रहा है। क्षेत्र की वो बूढ़ी आखें जिन्होंने अंधेरे, कीचड़ और बदहाली के सबसे भयानक मंजर देखा हो, वो आज अपने क्षेत्र में भाजपा और भूपेन्द्र सिंह के विकास को देखा कर खुशी से छलक जाती हैं। यहां के किसान दशकों तक पानी और बिजली के लिए गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन कांग्रेस के नेताओं के कानों में जूं तक नहीं रेंगीं। आज भूपेंद्र सिंह ने भाजपा सरकार की सभी किसान कल्याण की योजनाओं को प्रत्येक किसान और खेत तक पहुंचाया है। भूमिगत जल स्तर नीचे होने के बाद भी आज खुरई अपनी अपनी आधुनिक कृषि के लिए देश भर में विख्यात है। आधुनिक सिंचाई की सुविधा के साथ कृषि उन्नत हो रही है। यहां के कृषि उपकरण और उत्पाद आज अपनी उन्नति के गीत गा रहे हैं।
यह सब संभव हो पाया है तो क्षेत्र के विधायक और मध्यप्रदेश शासन में मंत्री भूपेंद्र सिंह के भेदभाव रहित और भ्रष्टाचार मुक्त विकास कार्यों से। खुरई विधान सभा क्षेत्र के किसान जी-तोड़ मेहनत से, जैसे तैसे उगाई हुई अपनी फसल को बेचने बीना या सागर की मंडियों में जाते थे, जितने की फसल होती उतना आने जाने का खर्चा, ऊपर से मंडी के दलाल ! खुरई के किसानों की इस बेबसी को सबसे पहले भूपेंद्र सिंह ने अनुभव किया उन्होंने खुरई में आधुनिक कृषि मंडी का निर्माण कराया, अब खुरई का किसान कहीं बाहर नहीं जाता बल्कि, जहां ये पहले जाते रहे, वहां से किसान आज खुरई मंडी में अपनी फसल बेचने आते हैं। भूपेन्द्र सिंह ने बड़े परिसर में सभी सुविधाओं से संपन्न इस कृषि मंडी में अनाज मंडी के साथ फल और सब्जी मंडी भी बनाई है।
खुरई के साथ ही मालथौन में भी किसानों के लिए आधुनिक कृषि मंडी निर्मित की गई है। भाजपा सरकार और क्षेत्रीय विधायक भूपेन्द्र सिंह ने अपने खुरई विधानसभा क्षेत्र के किसानों को उन्नत कर, उनकी हर तकलीफ का समाधान कर दिया है। अमृत सरोवर योजना, अमृत योजना (जल कूप निर्माण) सहित सिंचाई की विभिन्न योजनाओं से किसान समृद्ध हो रहा है।
खुरई को बुंदेल खंड का हृदय कहना अनुचित नहीं होगा और जब हृदय स्वस्थ होता है तो पूरा शरीर स्वस्थ रहता है, ऐसे ही भूपेन्द्र सिंह ने खुरई के कायाकल्प से यहां के जीवन को उन्नत और सुखी बनाया है। यह खुरई क्षेत्र आज सम्पूर्ण मध्यप्रदेश और बुंदेलखंड में विकास का एक आदर्श मॉडल बन चुका है। खुरई तो अब कस्बा प्रतीत ही नहीं होता बड़े शहरों की तर्ज़ का विकास इसे संपन्न शहर बनाता है। यहां के किसान स्वयं को पंजाब या हरियाणा के संपन्न किसानों से खुद को जोड़ पाते हैं। आज ये सब संभव हो पाया है तो केवल आधुनिक खुरई के निर्माता ‘विकास पुरुष’ भूपेन्द्र सिंह की वजह से!
बुंदेलखंड कृषि के क्षेत्र में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है, मध्यप्रदेश को चार पांच बार लगातार कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है। गेहूं और सोयाबीन जैसी कुछ फसलों के उत्पादन में तो मध्यप्रदेश अपने पंजाब से भी आगे है। आज मध्यप्रदेश में किसानों ने धान, गेहूं, दलहन और तिलहन फसलों के शानदार उत्पादन के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के ‘श्री अन्न’ अर्थात् परंपरागत अपने प्राचीनतम फसलों (मोटे अनाज) का भरपूर उत्पादन कर रहे हैं ।
अपना भारत देश कृषि संपन्न और किसानों का देश है। आज हम भले ही दुनिया को पीछे छोड़ कर, उन्नति की तीव्र गति पकड़ कर सबसे आगे चल रहे हैं, लेकिन हमारी सेहत और ताकत आज भी भारत भूमि से ही हमें मिलती है, जिसके लिए हम समूचे भारतवर्ष के किसान भाइयों के प्रति कृतज्ञ हैं। किसान साल भर खेतों में अपनी फसल के साथ तेज धूप, बारिश, ठंड और आंधी तूफ़ान में डटा रहता है, न केवल इसलिए कि उसे फसल की बिक्री पर धन मिलेगा बल्कि वह राष्ट्र की प्रगति और जनता का पेट भरने में सहयोग कर सकेगा। आज अपना देश दुनिया का सबसे बड़ा खाद्यान्न उत्पादन और उपभोग करने वाला देश है। दुनिया का सर्वाधिक सब्जी, फल, फूल और चावल, गेहूं जैसे महत्वपूर्ण भोज्य पदार्थों का प्रमुख निर्यातक है। भारत देश को कृषि प्रधान देश कहा जाता है, लेकिन लंबे समय तक देश की कांग्रेस सरकार ने किसानों को उनके मूल अधिकारों से वंचित रखा, उन्हे सहयोग और लाभ देने की तो बात बहुत दूर की है। बात अगर अपने राज्य मध्यप्रदेश की करें तो यहां की पूर्व वर्ती कांग्रेस सरकार (केंद्र व राज्य दोनों) ने किसानों के लिए कोई विशेष सुविधा या योजना नहीं बनाई। हर पंचवर्षीय योजनाओं में कृषि के लिए बजट तो निर्धारित किए किंतु बजट की राशि किसानों को कोई मदद नहीं दे सकी।
इतना ही नहीं हरित क्रांति को इतना बढ़ाचढ़ा कर बताया मानो पूरा देश अनाज गोदाम बन गया हो और सभी किसान तरक्की के शिखर पर पहुंच गए हों, लेकिन पंजाब और हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में नहरों के निर्माण और यांत्रिकी विकास के अलावा देश में एक दो डैम बने और किसी भी हिस्से में कुछ नहीं हुआ। लेकिन आज के भाजपा सरकार और मोदी राज में कभी वीरान और बंजर कच्छ, थार और लद्दाख व अरुणांचल प्रदेश में भी खेती वो भी जैविक और प्राकृतिक पद्धति से हो रही है।
कांग्रेस समर्थित और राहुल गांधी की मानसिकता के लोग भले ही कुछ कहें किंतु 2014 के बाद से जो परिवर्तन देश में हुए वो आज स्पष्ट रूप से अपनी सामर्थ्य बता रहे हैं। विश्व बर्बादी और मंदी की ओर बढ़ता जा रहा है वहीं भारत लगातार तरक्की की राह पर बढ़ता ही जा रहा है। आज गांव गांव में कृषि भंडारण गोदाम, सहकारी समितियों के माध्यम से खरीदी वो भी समर्थन मूल्य पर, ऊपर से बोनस की प्रोत्साहन राशि, इतना ही नहीं फसल के नुकसान पर अब किसान को हताश नहीं होना पड़ता, फसल बीमा की राशि सीधे किसानों के खाते में पहुंच जाती है। 0% ब्याज दर पर कृषि के लिए बैंकों से ऋण उपलब्ध हो जाता है। 12 हजार रूपए वार्षिक की किसान सम्मान निधि (₹6 हज़ार केंद्र सरकार, ₹6 हज़ार मध्यप्रदेश सरकार) निर्बाध रूप से मिल रही है। आज भारत का प्रत्येक किसान भारतीय जनता पार्टी की नीतियों से प्रसन्न है यही कारण है कि देश जो कभी खाद्यान्न का आयात करता था वो आज खाद्यान्नों का प्रमुख निर्यातक है। किसानों के सम्मान में पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने एक नारा दिया था ‘जय जवान – जय किसान’ आज भाजपा के शासन काल में नरेन्द्र मोदी जी के सम्पूर्ण भारत और प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में हमारे किसान इसे बुलंद कर रहे हैं।